कान के दर्द का घरेलू उपचार(Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi)

कान में दर्द, चिकित्सा रूप से ऑटल्जिया के रूप में जाना जाता है, जो विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकती है। ऑटिटिस मीडिया जैसी सामान्य संक्रमण से लेकर परदर्शी कान इंफेक्शन जैसे इन्फेक्शन से हो सकता है, जिसमें कीटाणु या वायरस कान कैनाल या मध्य कान को प्रभावित करते हैं। चोटों जैसे चीजें, जैसे कि पैरफोरेटेड इयरड्रम या हवा यात्रा के दौरान दबाव परिवर्तन, भी कान में दर्द का कारण बन सकते हैं।

इसके अलावा, यहां तक कि temporomandibular joint (TMJ) डिसफंक्शन, साइनस संक्रमण, या अधिकारित कान के वैक्स भी कान में आराम का कारण बन सकते हैं। कभी-कभी, गली में या दाँतों से कान में दर्द की भीति हो सकती है।

उपयुक्त उपचार के लिए कान में दर्द के पीछे छिपे कारणों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। अगर दर्द बना रहता है या यह सुनने में कमी, स्राव, या अन्य चिंताजनक लक्षणों के साथ आता है, तो शीघ्र चिकित्सकीय सहायता लेना सुस्तस्त है। गर्म प्रेसर, ओटर कंप्रेसर्स, या बाजार में मिलने वाली दर्द निवारकों की तरह कुछ घरेलू उपचार सामग्री स्थायी राहत प्रदान कर सकते हैं, लेकिन एक हेल्थकेयर पेशेवर की मूल्यांकन के लिए यहां तत्परता महत्वपूर्ण है।

कान के दर्द का घरेलू उपचार(Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi)
Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi

रोग का मुख्य कारण:

कान में दर्द कई कारणों से हो सकता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं:

  1. संक्रमण (Infections): ऑटिटिस मीडिया (मध्य कान का संक्रमण) या बाह्य कान की संक्रमण (बाह्य कान का संक्रमण) कान में दर्द का सामान्य कारण हो सकते हैं।

  2. चोटें या चोट (Injuries): यदि कान में किसी प्रकार की चोट होती है, तो यह दर्द का कारण बन सकती है, जैसे कि इयरड्रम की चीरा होना। Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi

  3. यात्रा के दौरान दबाव परिवर्तन (Pressure Changes During Travel): हवाई यात्रा या पहिये की सवारी के दौरान हवा के दबाव के परिवर्तन के कारण भी कान में दर्द हो सकता है।

  4. टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट (TMJ) डिसफंक्शन: यह मुंह की खोली जोड़ी की समस्या हो सकती है, जो कान में दर्द का कारण बन सकती है।

  5. साइनस संक्रमण (Sinus Infections): साइनस क्षेत्र के संक्रमण से भी कान में दर्द हो सकता है, क्योंकि यह संक्रमण कान में बढ़ाई जा सकती है। Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi

  6. ऑटर वैक्स (Earwax) की अधिकता: कान में अधिक ऑटर वैक्स भी कान में दर्द का कारण बन सकता है।

  7. आसपास के हिस्सों से रेफर्ड पेन (Referred Pain): कभी-कभी, गले या दाँतों से कान में दर्द हो सकता है, जो आसपास के क्षेत्रों से होने वाले दर्द को सूचित कर सकता है। Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi

इनमें से किसी भी कारण के लिए कान में दर्द के लक्षण होने पर सही निदान और उपयुक्त उपचार के लिए चिकित्सक से सलाह लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

कान के दर्द का घरेलू उपचार(Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi)​:

कान के दर्द का घरेलू उपचार(Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi)
अकौआ का पत्ता

अकौवा” सामान्यत: “कोवा” या “कोवे” के रूप में भी जाना जाता है और यह एक प्रकार का पौधा है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। अकौवा के पत्ते अत्यंत पौष्टिक होते हैं और विभिन्न पोषणात्मक तत्वों का उच्च स्तर प्रदान कर सकते हैं। इसमें विटामिन, खनिज, प्रोटीन, और एंटीऑक्सीडेंट्स हो सकते हैं। Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi

अकौआ के पीले पत्ते लेकर उन पर घी चुपड़कर सेकें और उनका रस निचोड़कर कान में  डालें । रस कान में डालने से कान का दर्द कम हो जाएगा । हफ्ते भर तक रोज दो बूंद डालना सही माना गया है । 

Gharelu Upchar For Ear Pain In Hindi
स्प्रिट
kauriya-loban
कौड़िया लोबान

कौड़िया लोबान 10 ग्राम , स्प्रिट 100 ग्राम दोनों को शीशी में भरकर और मजबूत कार्क लगाकर गरम पानी  में रख दें । जब दोनों दवाएं घुल-मिलकर एक हो जाएं तब शीशी को पानी से निकालकर दवा को छान लें । इसकी दो तीन बूंद कान में  डालने से कैसा ही दर्द हो तुरंत मिट जाता है । दवा लगती अवश्य है परंतु लाभ तत्काल होता है । 

“घरेलू उपचार” के प्रति सावधानी का बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ सावधानियां हैं:
  1. वैद्यकीय सलाह:यदि दर्द या समस्या बनी रहती है, तो पहले ही वैद्यकीय सलाह लेना उत्तम है।

  2. सही तकनीक:घरेलू उपचार का सही तकनीकों का पालन करें, और इससे होने वाले सम्भावित उत्तराधिकारी तंतुरुप्ति की खतरा से बचने के लिए सावधानी बरतें।

  3. असुरक्षित सामग्री से बचें:किसी भी सामग्री का अधिक उपयोग न करें जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

  4. एलर्जी या प्रतिक्रियाएँ:यदि किसी चीज़ से एलर्जी हो, तो उससे दूर रहें।

  5. नुकसान के लिए संकेत:यदि घरेलू उपचार के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं होता है या स्थिति बिगड़ती है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

  6. व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन:घरेलू उपचार का उपयोग करने से पहले अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन करें और उपचार की उपयुक्तता की जाँच करें।

  7. सतर्कता और समझदारी:सभी घरेलू उपचारों का सही तरीके से अपनाने से पहले सतर्क रहें और समझदारी से काम करें।

यदि आप किसी अज्ञात या गंभीर स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना सुरक्षित होता है।

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misti
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misti
10 months ago

akawva ka patta nhi mil rha hai

sashi gautam
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sashi gautam
10 months ago

akawva ka patta ka ye upyog mjhe phli baar gyaat hua.

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