Top 2 Gharelu Upchar For Hydrocele In Hindi (अंडकोश में वृद्धि के दो सफल और अचूक घरेलू उपचार )

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अंडकोश में वृद्धि देखना आमतौर पर एक उत्तानपिंडी (इंगुइनल) हर्निया के लक्षण के रूप में हो सकता है। इसका दिखने का तरीका व्यक्ति के शारीरिक स्थिति और हर्निया की प्रकृति पर निर्भर करता है । इंगुइनल (groin) क्षेत्र में एक गांठ या बुल्ज की उपस्थिति इंगुइनल हर्निया की पहचान करती है, जो पेट की परत में कमजोरी या छेद के कारण होती है। यह कमजोरी आंतरिक अंगों या ऊतकों को बाहर निकलने की अनुमति देती है, जिससे स्पष्ट सूजन बनता है। इसका रूप व्यक्ति और हर्निया की प्रकृति पर निर्भर कर सकता है। अन्य सामान्य संकेतों में सूजन, असुविधा, और कभी-कभी पीड़ा शामिल है। Top 2 Gharelu Upchar For Hydrocele In Hindi

Top 2 Gharelu Upchar For Hydrocele In Hindi (अंडकोश में वृद्धि के दो सफल और अचूक घरेलू उपचार )
Top 2 Gharelu Upchar For Hydrocele In Hindi (अंडकोश में वृद्धि के दो सफल और अचूक घरेलू उपचार )

रोग का मुख्य कारण:

  1. उत्तानपिंडी (इंगुइनल) हर्निया: इसमें अंडकोश की दीवार में कमजोरी होती है और इसके कारण आंतरिक अंगों का बाहर निकलने का खतरा बढ़ता है। यह पुरुषों में अधिक होती है।

  2. उत्तानपिंडी हर्निया के लक्षण: इसमें पेट के निचले हिस्से में दर्द और अंदर घुसे हुए आंतों का बाहर निकलने का आभास होता है। Top 2 Gharelu Upchar For Hydrocele In Hindi

  3. जननांग (स्टेमन) की वृद्धि: यह वृद्धि अंडकोश क्षेत्र में होती है और पुरुषों में सामान्य रूप से जननांग के नीचे होती है। यह एक नॉर्मल शरीरिक विकास का हिस्सा हो सकता है या किसी बीमारी के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकता है।

  4. ट्यूमर या गाँठें: कभी-कभी, अंडकोश में ट्यूमर या गाँठें हो सकती हैं जो वृद्धि का कारण बन सकती हैं।

Top 2 Gharelu Upchar For Hydrocele In Hindi (अंडकोश में वृद्धि के दो सफल और अचूक घरेलू उपचार )

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द्रायण की जड़

इंद्रायन पौध का वैज्ञानिक नाम सिट्रुलस कोलोसिन्थिस है और इसे भारत में तुम्बा कहा जाता है। इसके पके फल, बीज, और अन्य भागों का औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है। यह पौध विभिन्न नामों से भी जाना जाता है जैसे कोलोसिंथ, बीटर एप्पल, और बीटर कुकुम्बर। इसमें तीखा और कड़वा स्वाद होता है, लेकिन इसे स्वास्थ के लिए लाभकारी माना जाता है। इसमें अनेक औषधीय गुण, जैसे कि एंटीडायबिटिक, एंटीकैंसर, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी बैक्टीरियल, और एंटी इंफ्लामेट्री गुण, मौजूद हैं।

इंद्रायण की जड़ को पीस कर कपड़े से छान लें, छानने के बाद इसमें अरंडी का तेल मिल कर एक लेप बना लें । इस लेप को बढ़े हुए अंडकोश पर लगाएं । इंद्रायण kkई जड़ का चूर्ण भी बहुत फायदे मंद होता है, इसकी जड़ का चूर्ण करीब 2 ग्राम प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करें । एक सप्ताह में ही अंडकोश में आराम आने लगता है, परंतु इसे कुछ दिन तक सेवन करते रहें । ऐसा करने से अंडकोश वापस से ठीक अवस्था में आ जाएंगे । 

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तम्बाकू का पत्ता

तम्बाकू का पत्ता, जिसे अंग्रेजी में “Tobacco Leaf” कहा जाता है, तम्बाकू पौध की पत्तियों का हिस्सा है जो तम्बाकू उत्पादन के लिए प्रयुक्त होता है। तंबाकू पत्ता का उपयोग तंबाकू उत्पादन के लिए होता है, जिसमें धूप, गुटखा, बीड़ी, और सिगरेट शामिल हैं। इसका सेवन कई स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि कैंसर, दिल की बीमारियाँ, और श्वास नली संबंधित समस्याएं, के लिए हानिकारक है। इसका नियमित सेवन नुकसानकारी हो सकता है और तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रमों का समर्थन किया जाता है ताकि लोग इस खतरनाक आदत से बच सकें।

तम्बाकू का पत्ता गरम करके अंडकोशों पर बांध कर लंगोट पहन लें । घंटे भर में लंगोट भीग जाएगा तब लंगोट को बदल कर दूसरा लंगोट पहन लें । इसी तरह तब दूसरा लंगोट भीग जाए तो उसको भी बदल लें । भीगा हुआ लंगोट नहीं पहने रहें । पत्ता बांधने से अंडकोश में खुजली जरूर होगी लेकिन खुजायें बिल्कुल भी नहीं । पूरा दिन इस पत्ते को लगा रहने दें ।  प्रातः सुबह पत्ते को खोल दें । पत्ता खोलने पर आपको अंडकोश में सुराख (छेद) दिखाई देंगे । उन सुराख पर शुद्ध मक्खन लगा लें । कुछ दिन इस प्रक्रिया को दोहराएं, कुछ ही दिनों में आपको इसका असर देखने को मिल जाएगा और अंडकोश ठीक स्थिति में वापस या जाएंगे ।  

“घरेलू उपचार” के प्रति सावधानी का बहुत महत्वपूर्ण है। यहां कुछ सावधानियां हैं:
  1. वैद्यकीय सलाह:यदि दर्द या समस्या बनी रहती है, तो पहले ही वैद्यकीय सलाह लेना उत्तम है।

  2. सही तकनीक:घरेलू उपचार का सही तकनीकों का पालन करें, और इससे होने वाले सम्भावित उत्तराधिकारी तंतुरुप्ति की खतरा से बचने के लिए सावधानी बरतें।

  3. असुरक्षित सामग्री से बचें:किसी भी सामग्री का अधिक उपयोग न करें जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो सकता है।

  4. एलर्जी या प्रतिक्रियाएँ:यदि किसी चीज़ से एलर्जी हो, तो उससे दूर रहें।

  5. नुकसान के लिए संकेत:यदि घरेलू उपचार के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं होता है या स्थिति बिगड़ती है, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।

  6. व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन:घरेलू उपचार का उपयोग करने से पहले अपनी व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन करें और उपचार की उपयुक्तता की जाँच करें।

  7. सतर्कता और समझदारी:सभी घरेलू उपचारों का सही तरीके से अपनाने से पहले सतर्क रहें और समझदारी से काम करें।

यदि आप किसी अज्ञात या गंभीर स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हैं, तो तुरंत चिकित्सक से सलाह लेना सुरक्षित होता है।

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